क्यों अपनी इन हरकतों से आखिर ये ज़माना बाज़ नहीं आता है। क्यों अपनी इन हरकतों से आखिर ये ज़माना बाज़ नहीं आता है।
दोगला चरित्र दोगला चरित्र
मतलब के जलवे, बिखरे पड़े है यहाँ हर कोई, अपना उल्लू, सीधा करता है यहाँ ज़मीन से, आसमान तक, होड़... मतलब के जलवे, बिखरे पड़े है यहाँ हर कोई, अपना उल्लू, सीधा करता है यहाँ ज़मी...
जात पात और धर्म बैठे तराजू की एक ओर हैं, समझ नहीं आता दूसरी ओर बैठा कौन है। जात पात और धर्म बैठे तराजू की एक ओर हैं, समझ नहीं आता दूसरी ओर बैठा कौन है।
उम्र का सूरज अब, ढलान पर जा रहा है। लगता है कि बुढ़ापा आ रहा है। उम्र का सूरज अब, ढलान पर जा रहा है। लगता है कि बुढ़ापा आ रहा है।
कविता है तो कवि है ,कवि है तो कविता जीवन की लय समझाती है जीवन सरिता। मधुरिम मधुरिम कविता है तो कवि है ,कवि है तो कविता जीवन की लय समझाती है जीवन सरिता। म...